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22:27, 30 जनवरी 2011 के समय का अवतरण
नाम-ए-हबीब<ref>प्रेम-पत्र</ref>
कहा है मुझसे जंगल की उन आवारा हवाओं ने
जो तेरी धड़कनों का तोहफ़ा मेरे पास लाती हैं ।
के तुमको हुस्न की नामेहरबानी से शिकायत है ।
तुम्हें कच्ची कली की बेज़बानी से शिकायत है ।
गुन्ह नाआशनाओं<ref>पाप से अपरिचित</ref> की जवानी से शिकायत है ।
कहा है मुझसे जंगल की उन आवारा हवाओं ने
जो तेरी धड़कनों का तोहफ़ा मेरे पास लाती हैं ।
सुना है ज़ब्त<ref>संयम</ref> को तुम दिल की संगीनी<ref>कठोरता</ref> समझते हो ।
अदाए ख़ौफ़े-रुसवाई<ref>बदनामी के दर की अदा</ref> को ख़ुदबीनी<ref>स्वयंदर्शन</ref> समझते हो ।
ये क्या सच है मेरे आँसू की रंगीनी समझते हो ।
कहा है मुझसे जंगल की उन आवारा हवाओं ने
जो तेरी धड़कनों का तोहफ़ा मेरे पास लाती हैं ।
जुनूँ परवर अदाओं<ref>पागलपन वाली अदाएँ</ref> से सँवरने के इरादे हैं ।
ख़ुदा के अर्शे-उलफ़त<ref>ईश्वर के प्रेम रूप प्रकाश से</ref> से उतरने के इरादे हैं
ज़मीन-ओ आसमाँ को एक करने के इरादे हैं
कहा है मुझसे जंगल की उन आवारा हवाओं ने
जो तेरी धड़कनों का तोहफ़ा मेरे पास लाती हैं ।