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"राम जी की माया / अनिल जनविजय" के अवतरणों में अंतर
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कोई बेचैन फिरता है, कोई घबराया घबराया | कोई बेचैन फिरता है, कोई घबराया घबराया | ||
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कयामत के दिन आए हैं, राम जी की माया । | कयामत के दिन आए हैं, राम जी की माया । | ||
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तनाव फैला हुआ है, देश भर में यहाँ वहाँ | तनाव फैला हुआ है, देश भर में यहाँ वहाँ | ||
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जुल्म व सितम का एक सिलसिला चलाया । | जुल्म व सितम का एक सिलसिला चलाया । | ||
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शहरों को आग लगा दी, इन्सानों को जलाया । | शहरों को आग लगा दी, इन्सानों को जलाया । | ||
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दूर-दूर तक जहाँ भी उनका कहर बरपा किया | दूर-दूर तक जहाँ भी उनका कहर बरपा किया | ||
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जले गोश्त की बू औ' कोयला ही नज़र आया । | जले गोश्त की बू औ' कोयला ही नज़र आया । | ||
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पिछले कुछ समय से हंगामा है इस मुल्क में | पिछले कुछ समय से हंगामा है इस मुल्क में | ||
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मर्दों की टोपियाँ छिन गईं, औरतों का साया । | मर्दों की टोपियाँ छिन गईं, औरतों का साया । | ||
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12:50, 8 फ़रवरी 2011 के समय का अवतरण
कोई बेचैन फिरता है, कोई घबराया घबराया
कयामत के दिन आए हैं, राम जी की माया ।
तनाव फैला हुआ है, देश भर में यहाँ वहाँ
जुल्म व सितम का एक सिलसिला चलाया ।
घर अँधेरे हो गए, गलियाँ दिखती हैं वीरान
शहरों को आग लगा दी, इन्सानों को जलाया ।
दूर-दूर तक जहाँ भी उनका कहर बरपा किया
जले गोश्त की बू औ' कोयला ही नज़र आया ।
पिछले कुछ समय से हंगामा है इस मुल्क में
मर्दों की टोपियाँ छिन गईं, औरतों का साया ।
(2003)