भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"राम जी की माया / अनिल जनविजय" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(New page: {{KKGlobal}} रचनाकारः अनिल जनविजय Category:कविताएँ Category:अनिल जनविजय ~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~...)
 
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
 
{{KKGlobal}}
 
{{KKGlobal}}
रचनाकारः [[अनिल जनविजय]]
+
{{KKRachna
[[Category:कविताएँ]]
+
|रचनाकार=अनिल जनविजय
[[Category:अनिल जनविजय]]
+
|संग्रह=राम जी भला करें / अनिल जनविजय
 
+
}}
~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~
+
  
  

19:16, 21 अक्टूबर 2007 का अवतरण


कोई बेचैन फिरता है, कोई घबराया घबराया

कयामत के दिन आए हैं, राम जी की माया ।


तनाव फैला हुआ है, देश भर में यहाँ वहाँ

जुल्म व सितम का एक सिलसिला चलाया ।


घर अंधेरे हो गए, गलियाँ दिखती हैं वीरान

शहरों को आग लगा दी, इन्सानों को जलाया ।


दूर-दूर तक जहाँ भी उनका कहर बरपा किया

जले गोश्त की बू औ' कोयला ही नज़र आया ।


पिछले कुछ समय से हंगामा है इस मुल्क में

मर्दों की टोपियाँ छिन गईं, औरतों का साया ।


(2003)