भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"भाग्य-फल / अरुण कमल" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(कोई अंतर नहीं)

18:21, 19 मई 2008 का अवतरण

मैंने आज ज्योतिषि को देखा

बीच बाज़ार में

मैंने आज शहर के सबसे बड़े ज्योतिषि को

कुँजड़िन से मोल-भाव करते देखा

दो कौड़ी की मामूली कुँजड़िन से

बस दस पैसे के वास्ते मुँह लगाते देखा

और कुँजड़िन भी कितनी मुँहफट थी

एक न छोड़ी

सरे बाज़ार लूट ली लंग


बेचारा ज्योतिषि

आज यही लिखा था भाग्य में !