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अस्वीकरण
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इंक़लाब-ए-रूस / फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
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04:33, 10 मार्च 2011
उफ़क-ता-उफ़क<ref>क्षितिज में</ref>
सुब्हे-महशर<ref>प्रलय का सवेरा</ref> की पहली किरन जगमगाई
तो तारीक आँखों से बोसीदा<ref>
फटे-पुराने
</ref>
फटे-पुराने
पर्दे हटाए गए
दिल जलाए गए
तबक़-दर-तबक़<ref>आसमानों में</ref>
अनिल जनविजय
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