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"नामविश्वास / तुलसीदास/ पृष्ठ 9" के अवतरणों में अंतर

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  दुखु दुरितु दुराजु सुख-सुकृत सकोच है।
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मागें पैंत पावत पचारि पातकी प्रचंड,
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कालकी करालता, भलेको होत पोच है।
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आपने ं तौ एकु अवलंबु अंब डिंभ ज्यों,
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समर्थ सीतानाथ सब संकट बिमोच है।
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तुलसी की साहसी सराहिए कृपाल राम!
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नामकें भरोसें परिनामको निसोच है।।
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मोह -मद मात्यो, रात्यो कुमति-कुनारिसों,
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बिसारि बेद-लोक -लाज ,आँकरो अचेतु है।
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भावे सो करत, मुँह आवै सो कहत ,कछु,
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काहूकी सहत  नाहिं , सरकस हेतु है।
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तुलसी अधिक अधमाई हू अजामिलतें,
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ताहूमें सहाय कलि कपटनिकेतु  है।
  
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जैबेको अनेक टेक , एक टेक ह्वौबेकी,
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जो, पेट-प्रियपूत हित रामनामु लेतु है।।
  
 
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16:03, 8 मई 2011 के समय का अवतरण


नामविश्वास-9
 
(81)

दिन -दिन दूनो देखि दारिदु , दुकालु ,
 दुखु दुरितु दुराजु सुख-सुकृत सकोच है।

मागें पैंत पावत पचारि पातकी प्रचंड,
कालकी करालता, भलेको होत पोच है।

आपने ं तौ एकु अवलंबु अंब डिंभ ज्यों,
समर्थ सीतानाथ सब संकट बिमोच है।

तुलसी की साहसी सराहिए कृपाल राम!
नामकें भरोसें परिनामको निसोच है।।

(82)

मोह -मद मात्यो, रात्यो कुमति-कुनारिसों,
 बिसारि बेद-लोक -लाज ,आँकरो अचेतु है।

 भावे सो करत, मुँह आवै सो कहत ,कछु,
 काहूकी सहत नाहिं , सरकस हेतु है।

 तुलसी अधिक अधमाई हू अजामिलतें,
ताहूमें सहाय कलि कपटनिकेतु है।

जैबेको अनेक टेक , एक टेक ह्वौबेकी,
जो, पेट-प्रियपूत हित रामनामु लेतु है।।