नामविश्वास-9
 
(81)
दिन -दिन दूनो देखि दारिदु , दुकालु ,
 दुखु दुरितु दुराजु सुख-सुकृत सकोच है। 
मागें पैंत पावत पचारि पातकी प्रचंड, 
कालकी करालता, भलेको होत पोच है। 
आपने ं तौ एकु अवलंबु अंब डिंभ ज्यों, 
समर्थ सीतानाथ सब संकट बिमोच है। 
तुलसी की साहसी सराहिए कृपाल राम! 
नामकें भरोसें परिनामको निसोच है।।
(82)
मोह -मद मात्यो, रात्यो कुमति-कुनारिसों,
 बिसारि बेद-लोक -लाज ,आँकरो अचेतु है।
 भावे सो करत, मुँह आवै सो कहत ,कछु, 
 काहूकी सहत  नाहिं , सरकस हेतु है।
 तुलसी अधिक अधमाई हू अजामिलतें, 
ताहूमें सहाय कलि कपटनिकेतु  है। 
जैबेको अनेक टेक , एक टेक ह्वौबेकी, 
जो, पेट-प्रियपूत हित रामनामु लेतु है।।