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"मुजरा / कविता वाचक्नवी" के अवतरणों में अंतर

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13:52, 14 मई 2011 का अवतरण

इन पतंगों ने

बहुत मुजरा किया

दरबार जिसके

वह, अंधेरा खोल

आँचल भर

कहे

अब लौट जाओ।