भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"बहुत बड़े देश में / विपिनकुमार अग्रवाल" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=विपिनकुमार अग्रवाल |संग्रह= }} मैंने बहुत बड़े देश में ...)
 
 
पंक्ति 4: पंक्ति 4:
 
|संग्रह=
 
|संग्रह=
 
}}
 
}}
 
+
{{KKCatKavita}}
 +
{{KKAnthologyDeshBkthi}}
 
मैंने
 
मैंने
  

01:35, 21 मई 2011 के समय का अवतरण

मैंने

बहुत बड़े देश में

बहुत बड़े वेश में

बहुत बड़े-बड़े लोग देखे

और बड़प्पन का महत्त्व खो दिया ।


(रचनाकाल : 1957)