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उम्र भर की कोई टहल तो करे
शोखियाँशोख़ियाँ, पर वे आईने में कहाँ!
उनकी हरदम करे नक़ल, तो करे
पंखड़ी है गुलाब की बेरंग
छु छू के होंठों से वे ग़ज़ल तो करे
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