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अगर समझो तो मैं ही सब कहीं हूँ / गुलाब खंडेलवाल
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03:47, 2 जुलाई 2011
'यहीं हूँ मैं, यहीं हूँ मैं, यहीं हूँ'
उतरती आती हैं
परछाइयां
परछाइयाँ
-सी
कोई ढूढों तो इनमें -- मैं कहीं हूँ
Vibhajhalani
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