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नहीं एक दिल की लगी छूटती है / गुलाब खंडेलवाल
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04:40, 2 जुलाई 2011
यहाँ पर तो हर दोस्ती छूटती है
उमर
सर झुकाए चली जा रही है
उमंगो की आवारगी छूटती है
हरेक साध ऐसे निकलती है मन से
की
कि
जैसे कोई
फुलझडी
फुलझड़ी
छूटती है
वही हैं सभी प्यार की रंगरलियाँ
Vibhajhalani
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