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मेरी आँखों में जब तक नमी है / गुलाब खंडेलवाल
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16:30, 2 जुलाई 2011
आदमी वह कोई आदमी है!
आज उन
सुर्ख
सुर्ख़
होंठों की फड़कन
एक अहम बात पर आ थमी है
Vibhajhalani
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