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मेरी आँखों में जब तक नमी है / गुलाब खंडेलवाल

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मेरी आँखों में जब तक नमी है
तेरी महफ़िल तभी तक जमी है

जो पराई जलन से न तड़पे
आदमी वह कोई आदमी है!

आज उन सुर्ख़ होँठों की फड़कन
एक अहम बात पर आ थमी है

प्यार कम तो नहीं है उधर भी
देखनेवाले! तुझमें कमी है

रंग अच्छा, गुलाब! आपका हो
रंग पर यह महज़ मौसमी है