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कि झुकने लगी है नज़र मिलते-मिलते
हटा रुख रुख़ से परदा न बेगानेपन का
कोई रह गया उम्र भर मिलते-मिलते
न था दिल का कोई खरीदार ख़रीदार तो क्या!
चले सबसे हम राह पर मिलते-मिलते
नहीं खेल है उनकी आँखों को पढ़ना
कि मिलती है दिल की खबर ख़बर मिलते-मिलते
गुलाब! आप कितनी भी खुशबू ख़ुशबू छिपायें
नज़र कह गयी कुछ मगर मिलते-मिलते
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