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स्वामी! यह क्या मन में आया / गुलाब खंडेलवाल
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23:37, 21 जुलाई 2011
‘वज्र गिराया सुखी सदन में
कैसे निष्ठुर बन कर क्षण में
भेजी नाथ! सगर्भा वन में
प्रिया सुकोमल काया!
Vibhajhalani
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