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"सपना / विमलेश त्रिपाठी" के अवतरणों में अंतर

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गाँव से चिट्ठी आयी है
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गाँव से चिट्ठी आई है
 
और सपने में गिरवी पड़े खेतों की
 
और सपने में गिरवी पड़े खेतों की
फरौती लौटा रहा हूँ
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फिरौती लौटा रहा हूँ
पथराये कन्ध्े पर हल लादे पिता
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खेतों की तरपफ जा रहे हैं
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पथराए कन्धे पर हल लादे पिता
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खेतों की तरफ़ जा रहे हैं
 
और मेरे सपने में बैलों के गले की घंटियाँ
 
और मेरे सपने में बैलों के गले की घंटियाँ
घुंघरू की तान की तरह लय बज रही हैं
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घुंघरू की तान की तरह बज रही हैं
समूची ध्रती सर से पाँव तक
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समूची धरती सर से पाँव तक
 
हरियाली पहने मेरे तकिये के पास खड़ी है
 
हरियाली पहने मेरे तकिये के पास खड़ी है
गाँव से चिट्ठी आयी है
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गाँव से चिट्ठी आई है
 
और मैं हरनाथपुर जाने वाली
 
और मैं हरनाथपुर जाने वाली
 
पहली गाड़ी के इन्तजार में
 
पहली गाड़ी के इन्तजार में
स्टेशन पर अकेला खड़ा हूँ।
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स्टेशन पर अकेला खड़ा हूँ ।
 
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10:53, 11 नवम्बर 2011 का अवतरण

गाँव से चिट्ठी आई है
और सपने में गिरवी पड़े खेतों की
फिरौती लौटा रहा हूँ

पथराए कन्धे पर हल लादे पिता
खेतों की तरफ़ जा रहे हैं
और मेरे सपने में बैलों के गले की घंटियाँ
घुंघरू की तान की तरह बज रही हैं
समूची धरती सर से पाँव तक
हरियाली पहने मेरे तकिये के पास खड़ी है

गाँव से चिट्ठी आई है
और मैं हरनाथपुर जाने वाली
पहली गाड़ी के इन्तजार में
स्टेशन पर अकेला खड़ा हूँ ।