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"दफ़्तर के बाद-३ / रमेश रंजक" के अवतरणों में अंतर

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फिर हम
 
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छोड़ी कुर्सी
 
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मृत दिन की चिता जला
 
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मातमपुर्सी
 
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मुँस से तरीख़ नोंच कर
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मुँह से तारीख़ नोंच कर
 
कहकहे उड़े
 
कहकहे उड़े
 
आदमक़द हो गए
 
आदमक़द हो गए

11:36, 19 दिसम्बर 2011 के समय का अवतरण

टुकड़े-टुकड़े,
आ-आ कर जुड़े
आदमक़द हो गए
फिर हम
निचुड़े-निचुड़े
टुकड़े-टुकड़े ।

सीधी कर झुकी कमर
हाथ-पाँव फैलाए
छोड़ी कुर्सी
मृत दिन की चिता जला
दृष्टि घुमाई, तोड़ी
मातमपुर्सी

मुँह से तारीख़ नोंच कर
कहकहे उड़े
आदमक़द हो गए
फिर हम
सिकुड़े-सिकुड़े
टुकड़े-टुकड़े...