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"क़तआत / ‘अना’ क़ासमी" के अवतरणों में अंतर
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17:54, 10 अप्रैल 2012 के समय का अवतरण
अब्र बेताब होके चीख़ पड़ा
बर्क़ अँगड़ाई लेके जाग उठी
क़तरा-क़तरा जिगर से खूँ टपका
रात तनहाई लेके जाग उठी
ख़ूब हरियाये हैं चने के खेत
बेरियाँ फल रही हैं आ जाओ
फुरसतों के भी कुछ तक़ाज़े हैं
छुट्टियाँ चल रही हैं आ जाओ
शब्दार्थ
<references/>