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|रचनाकार=शिवादीन शिवदीन राम जोशी
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यमुना तट पर खड़ा सांवरा, बिजरी चमकत घन में ||
मौर पपैया दादुर बोले, भांति-भांति के पक्षी डोले |
हरी हरियाली, कोयल कून्कत कूँकत बोले मधुर स्वरन में ||
शिवदीन मनोरम छटा निराली, जय-जय जय प्यारे बनमाली |
युगल छबि उर बसत हमारे, देखो इन नयनन में ||
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