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"कविता सूं बेसी / मदन गोपाल लढ़ा" के अवतरणों में अंतर

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|संग्रह=म्हारै पांती री चिंतावां / मदन गोपाल लढ़ा  
 
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23:01, 16 अक्टूबर 2013 के समय का अवतरण

कुण कैवै
म्हैं कीं नीं लिख्यो
इण दिनां

कविता में सबद हुवै
प्राण
जीवण रो आधार ।

म्है रच्यो
जीवण ।

अबै सोच -
म्हारो रचाव
कविता सूं
कीं बेसी ईं हुवैला ।