भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"चकल्लस (कविता) / पढ़ीस" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} {{KKCatAwadhiRachna}} ...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
Sharda suman (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
{{KKGlobal}} | {{KKGlobal}} | ||
{{KKRachna | {{KKRachna | ||
− | |रचनाकार= | + | |रचनाकार=पढ़ीस |
|अनुवादक= | |अनुवादक= | ||
|संग्रह= | |संग्रह= |
10:26, 15 मार्च 2014 का अवतरण
अगहनी पुन्न्मासी क्यार म्याला देखि छकि आयउँ,
पयिसदा तीनि आना तूरि का परसाद घर लायउँ|
दुई घरी दउस के चढ़तयि रहकला भला अउ अदधा,
चलयि लागीं चह्वद्दी तें, कहाँ संभारू कयि पायउँ|
चला टिंडी तना मनई न ताँता टूट दुई दिन तक
कचरि छा सात गे तिनमा, अधमरा मयि घरयि आयउँ|