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"सग्गा / निशान्त" के अवतरणों में अंतर
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बै कैवण में | बै कैवण में | ||
सग्गा तो अवस कहिजै | सग्गा तो अवस कहिजै |
22:12, 30 अप्रैल 2015 का अवतरण
बै कैवण में सग्गा तो अवस कहिजै पण जाबक ई नीं समझै सग्गै तो संकट !
छुछक, भात, ओढावणी अर दायजो लेंवती बेळा कदै ई नीं सोचै कै सग्गो कळीज तो नीं गयो करज रै कादै ! </poem>