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"गळगचिया (49) / कन्हैया लाल सेठिया" के अवतरणों में अंतर

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पग कयो- सुई तूं काटै नै तुरत फुरत ही किया काढ़ लै ?
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सुई बोली-अरै भोळिया घर रो भेढू लंका ढ़ावै आ कैबत तो घणी पुराणी है।
 
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15:05, 17 मार्च 2017 के समय का अवतरण

पग कयो- सुई तूं काटै नै तुरत फुरत ही किया काढ़ लै ?
सुई बोली-अरै भोळिया घर रो भेढू लंका ढ़ावै आ कैबत तो घणी पुराणी है।