{{KKCatSurinamiRachna}}
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मैं कवि नहीं,गरम लगीलेखक नहीं,अमृत बरसीसूरीनाम के वनों के काँटों के बीचठंडी लगीखिलने वाली एक कली की तरहबन सुरुज चमकीखिलना चाहता हूँ।अँधियार होईबन चन्दा मुस्काई।खुश हो मुस्कुराता रहतामहतारी भाषा रोइफैलाता सुगन्धके अब बचाईहरता दुर्गंधबादर, सुरुज चन्दा बन जाशान्त रखता अपने वनों को।अँधकार जाईरोशनी आईचुभता यदि मुझे काँटासरनाम केहँस देता मुखड़ा मेराघर आँगनकवच बन करता रक्षा मेरीखेत जंगल सेबरसती आँख मेरीलेई के चलीसँभल-सँभल कर हृदय मेरामहक महक केक्षमा कर देता।मधुर बानीसुनावे सबकेखिलखिलाकरअजवा अजियाहँसना चाहता हूँनाना ननियाऔरों के साथतोहार हमारऔरों हृदय मन के लिएअपनों के साथएकता प्रेमअपनों प्यार के लिए।बतिया।
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