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बगावत / रेखा चमोली

3 bytes removed, 14:04, 28 जून 2017
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खाली समय में भले मैं
टी वी पर फिल्में या सीरीयल देख लूूॅलूँउन्हंे उन्हें नहीं होता कोई ऐतराज
उन्हें लगता है
ये बेहुदा बेहूदा और अश्लील दृश्य तो बने ही हैं
महिलाओं के लिए
और मददगार हैं
समय की बर्बादी लगती है उन्हें
कहीें मैं समझ न लूॅ उनके षडयन्त्रों को
और कर ना बैठूं बैठूँ बगावत।
</poem>
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