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बगावत / रेखा चमोली
Kavita Kosh से
खाली समय में भले मैं
टी वी पर फिल्में या सीरीयल देख लूँ
उन्हें नहीं होता कोई ऐतराज
उन्हें लगता है
ये बेहूदा और अश्लील दृश्य तो बने ही हैं
महिलाओं के लिए
और मददगार हैं
सत्ताओं के बने रहने में
पर अखबार या कोई किताब पढना
समय की बर्बादी लगती है उन्हें
कहीें मैं समझ न लूॅ उनके षडयन्त्रों को
और कर ना बैठूँ बगावत।