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"मौसम के रंग / नीरजा हेमेन्द्र" के अवतरणों में अंतर
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− | + | खुली हवायें बनाने लगती हैं कुछ दूरी | |
− | + | चंचल हो उठते हैं वृक्षों के पीले पत्ते | |
− | + | ढलते दिन की लम्बी परछाईयों में | |
− | + | ठहरे से आकाश में चुपचाप | |
− | + | निकल आता है नीला चाँद | |
− | + | इस बेरंग मौसम में | |
− | + | वृक्षों के नीचे पीले पत्तों की कालीन पर | |
− | + | फुदकती है एक चिड़िया | |
− | + | चाँद के सर्द होने... पत्तों के टूटने से पूर्व | |
− | + | मैं उतार लेती हूँ चाँद को जल भरे कटोरे में | |
− | + | सूखे पत्तों के संगीत में | |
− | + | जीवंत होने लगा है सर्द चाँद। | |
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10:01, 29 जून 2017 के समय का अवतरण
जब कभी उदास होता है मौसम
खुली हवायें बनाने लगती हैं कुछ दूरी
चंचल हो उठते हैं वृक्षों के पीले पत्ते
ढलते दिन की लम्बी परछाईयों में
ठहरे से आकाश में चुपचाप
निकल आता है नीला चाँद
इस बेरंग मौसम में
वृक्षों के नीचे पीले पत्तों की कालीन पर
फुदकती है एक चिड़िया
चाँद के सर्द होने... पत्तों के टूटने से पूर्व
मैं उतार लेती हूँ चाँद को जल भरे कटोरे में
सूखे पत्तों के संगीत में
जीवंत होने लगा है सर्द चाँद।