भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

मौसम के रंग / नीरजा हेमेन्द्र

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

जब कभी उदास होता है मौसम
खुली हवायें बनाने लगती हैं कुछ दूरी
चंचल हो उठते हैं वृक्षों के पीले पत्ते
ढलते दिन की लम्बी परछाईयों में
ठहरे से आकाश में चुपचाप
निकल आता है नीला चाँद
इस बेरंग मौसम में
वृक्षों के नीचे पीले पत्तों की कालीन पर
फुदकती है एक चिड़िया
चाँद के सर्द होने... पत्तों के टूटने से पूर्व
मैं उतार लेती हूँ चाँद को जल भरे कटोरे में
सूखे पत्तों के संगीत में
जीवंत होने लगा है सर्द चाँद।