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घबराहट के साथें पूछलकै,
‘‘तोंय के छेकोॅ भगवन ?
सूरजें कहलकैµ‘‘प्रिये कहलकै-‘‘प्रिये
हम्में आदित्य छेकौं, भूलोॅ नै रिषि वचन।
धीरज तेॅ बंधावै हुवेॅ।
रिषि कहलकैµ‘राजकन्येकहलकै-‘राजकन्ये,
डरोॅ नै तोंय, दै छिहौं वरदान,
कोय तरह के कलंक तोरा नै
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