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कर्ण-पहलोॅ सर्ग / रामधारी सिंह ‘काव्यतीर्थ’
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06:25, 12 जुलाई 2017
घबराहट के साथें पूछलकै,
‘‘तोंय के छेकोॅ भगवन ?
सूरजें
कहलकैµ‘‘प्रिये
कहलकै-‘‘प्रिये
हम्में आदित्य छेकौं, भूलोॅ नै रिषि वचन।
धीरज तेॅ बंधावै हुवेॅ।
रिषि
कहलकैµ‘राजकन्ये
कहलकै-‘राजकन्ये
,
डरोॅ नै तोंय, दै छिहौं वरदान,
कोय तरह के कलंक तोरा नै
Rahul Shivay
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