भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"इज़्ज़तपुरम्-74 / डी. एम. मिश्र" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=डी. एम. मिश्र |संग्रह=इज़्ज़तपुरम...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
|||
पंक्ति 6: | पंक्ति 6: | ||
{{KKCatKavita}} | {{KKCatKavita}} | ||
<poem> | <poem> | ||
− | + | मिमियाहट सुन | |
− | + | कसाई हो जाये | |
− | + | और | |
− | + | दहाड़ सुन | |
+ | भींगी बिल्ली | ||
− | + | पुरूषाचार | |
− | + | सनातन से | |
− | + | चातुर्य की | |
− | + | बुनियाद पर टिका है | |
− | + | पर | |
− | + | बदलाव आया है | |
− | + | नागफनी की | |
− | + | युवा प्रजातियों में जो | |
− | + | ‘डार्क चाबुक' सी पड़े | |
+ | और खींच ले खाल | ||
− | + | अँगुली भर तरंग में | |
− | + | पुरूष नाचता फिरे | |
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
</poem> | </poem> |
17:33, 18 सितम्बर 2017 के समय का अवतरण
मिमियाहट सुन
कसाई हो जाये
और
दहाड़ सुन
भींगी बिल्ली
पुरूषाचार
सनातन से
चातुर्य की
बुनियाद पर टिका है
पर
बदलाव आया है
नागफनी की
युवा प्रजातियों में जो
‘डार्क चाबुक' सी पड़े
और खींच ले खाल
अँगुली भर तरंग में
पुरूष नाचता फिरे