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"इज़्ज़तपुरम्-74 / डी. एम. मिश्र" के अवतरणों में अंतर

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प्रेम की हो पराकाष्ठा
+
मिमियाहट सुन
वासना की नहीं
+
कसाई हो जाये
सदाचार का हो ओर छोर
+
और
व्यभिचार का नहीं
+
दहाड़ सुन
 +
भींगी बिल्ली
  
प्यास की हो तृप्ति
+
पुरूषाचार
तृष्णा की नहीं
+
सनातन से
यह भेदमंत्र नहीं
+
चातुर्य की
सीढ़ी है अर्थ की
+
बुनियाद पर टिका है
  
कोई कारोबार
+
पर
इतना न सिद्धहस्त हो
+
बदलाव आया है
इतना न हंगामेदार
+
नागफनी की
हींग लगे न फिटकरी
+
युवा प्रजातियों में जो
रंग हो चोखा
+
‘डार्क चाबुक' सी पड़े
 +
और खींच ले खाल
  
एक छोटी खटिया पर
+
अँगुली भर तरंग में
खड़ी उद्योग-कम्पनी हो
+
पुरूष नाचता फिरे
 
+
भयमुक्त मौज करेा
+
विज्ञान बहुत आगे है
+
पानी घहरा कर बरसें
+
अँखुआ एक न फूटे
+
 
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17:33, 18 सितम्बर 2017 के समय का अवतरण

मिमियाहट सुन
कसाई हो जाये
और
दहाड़ सुन
भींगी बिल्ली

पुरूषाचार
सनातन से
चातुर्य की
बुनियाद पर टिका है

पर
बदलाव आया है
नागफनी की
युवा प्रजातियों में जो
‘डार्क चाबुक' सी पड़े
और खींच ले खाल

अँगुली भर तरंग में
पुरूष नाचता फिरे