भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"निराशा / एरिक ब्लोमबेरी" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=एरिक ब्लोमबेरी |संग्रह= }} <Poem> धरती,...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
|||
पंक्ति 11: | पंक्ति 11: | ||
छुपा लो मेरे हृदय को, | छुपा लो मेरे हृदय को, | ||
− | छुपा लो मेरी | + | छुपा लो मेरी आँखें |
सूर्य के झूठ से. | सूर्य के झूठ से. | ||
20:56, 1 दिसम्बर 2017 के समय का अवतरण
धरती, माँ,
अंधकारमय और अचल,
फैलाओ अपनी बाहें
उनके लिए जो हैं निराश.
छुपा लो मेरे हृदय को,
छुपा लो मेरी आँखें
सूर्य के झूठ से.
वह नीला अंतरिक्ष
करता है हमारे भाग्य का उपहास.
तुम हो लेकिन सत्य
जिसके स्वामित्व में होंगे हम सब.
(मूल स्वीडिश से अनुवाद : अनुपमा पाठक)