भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

निराशा / एरिक ब्लोमबेरी

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

धरती, माँ,
अंधकारमय और अचल,
फैलाओ अपनी बाहें
उनके लिए जो हैं निराश.

छुपा लो मेरे हृदय को,
छुपा लो मेरी आँखें
सूर्य के झूठ से.

वह नीला अंतरिक्ष
करता है हमारे भाग्य का उपहास.

तुम हो लेकिन सत्य
जिसके स्वामित्व में होंगे हम सब.


(मूल स्वीडिश से अनुवाद : अनुपमा पाठक)