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+ | ठिठुरी धूप | ||
+ | ढूँढे है ,कहाँ गया ? | ||
+ | सूरज भूप । | ||
+ | भोर ले के आ गई | ||
+ | क्यों ये ठंडा-सा सूप ? | ||
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+ | तुहिन पुष्प | ||
+ | अम्बर बरसाए | ||
+ | धरा लजाए । | ||
+ | नवोढ़ा , सिमटी -सी, | ||
+ | ज्यों छुपी -छुपी जाए । | ||
+ | 36 | ||
+ | रिश्ते प्यार के | ||
+ | चाहा था फूलें- फलें | ||
+ | सँवरें रहें | ||
+ | क्या जानूँ कैसे हुए | ||
+ | अमर बेल बनें | ||
+ | 37 | ||
+ | चुनती रही | ||
+ | काँटे सदा राह से | ||
+ | और वे रहे | ||
+ | इतने बेफिकर | ||
+ | मेरी आहों से कैसे ! | ||
+ | 38 | ||
+ | अरी पवन ! | ||
+ | ली खुशबू उधार | ||
+ | कली -फूल से | ||
+ | ज़रा कर तो प्यार | ||
+ | न कर ऐसे वार ! | ||
+ | 39 | ||
+ | मंज़ूर मुझे | ||
+ | मेरे काँधे बनते | ||
+ | तेरी सीढ़ियाँ | ||
+ | तूने दुनियाँ रची | ||
+ | मिटा मेरा आशियाँ | ||
+ | 40 | ||
+ | सजे चमन | ||
+ | विविध रंग पुष्प | ||
+ | खिलखिलाएँ | ||
+ | आशा हो नयन में | ||
+ | सदा सन्मार्ग पाएँ । | ||
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16:50, 7 फ़रवरी 2018 के समय का अवतरण
33
झीनी चादर
सिहरा सा सूरज
ढूँढे अलाव।
क्यों हुआ हाल ऐसा
बड़ा खाता था ताव !
34
ठिठुरी धूप
ढूँढे है ,कहाँ गया ?
सूरज भूप ।
भोर ले के आ गई
क्यों ये ठंडा-सा सूप ?
35
तुहिन पुष्प
अम्बर बरसाए
धरा लजाए ।
नवोढ़ा , सिमटी -सी,
ज्यों छुपी -छुपी जाए ।
36
रिश्ते प्यार के
चाहा था फूलें- फलें
सँवरें रहें
क्या जानूँ कैसे हुए
अमर बेल बनें
37
चुनती रही
काँटे सदा राह से
और वे रहे
इतने बेफिकर
मेरी आहों से कैसे !
38
अरी पवन !
ली खुशबू उधार
कली -फूल से
ज़रा कर तो प्यार
न कर ऐसे वार !
39
मंज़ूर मुझे
मेरे काँधे बनते
तेरी सीढ़ियाँ
तूने दुनियाँ रची
मिटा मेरा आशियाँ
40
सजे चमन
विविध रंग पुष्प
खिलखिलाएँ
आशा हो नयन में
सदा सन्मार्ग पाएँ ।