गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
कली चम्पा की / कविता भट्ट
24 bytes removed
,
03:42, 14 फ़रवरी 2018
{{KKCatKavita}}
<poem>
कली चम्पा की
'''
ओ चम्पा की कली!
'''
सच को झूठ के आवरण में लपेटकर
संसारी छलते रहे तेरा मन अपनत्व समेटकर
लघु तेरा जीवन
अचिर होकर भी तेरा चिर यौवन
स्वार्थी मानव ने नोंच डाला उसे
भी
भी।
</poem>
वीरबाला
5,140
edits