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"अयोध्या में कुछ क़ब्रें / असद ज़ैदी" के अवतरणों में अंतर

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लेकिन अपनी जगह से कुछ सरकी हुई
 
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हर शै, दम साधे,
 
हर शै, दम साधे,

00:18, 17 जुलाई 2008 का अवतरण

इस मलबे के पीछे कुछ दूर जाकर

नदी के उस तरफ़ कई क़ब्रें हैं

जिनमें दबी हैं कुछ कहानियाँ

ज़ंग लगा एक चिमटा

तांबे का प्याला

एक तहमद एक लाठी एक दरी

मेंहदी से रंगे बाल

2 X 3 इंच का नीले शीशे का

चमकदार टुकड़ा

और इसी तरह कुछ अटरम-सटरम


हर शै ख़ामोश

लेकिन अपनी जगह से कुछ सरकी हुई


हर शै, दम साधे,

हमारी तरह,

किसी इंतज़ार में।