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अयोध्या में कुछ क़ब्रें / असद ज़ैदी
Kavita Kosh से
इस मलबे के पीछे कुछ दूर जाकर
नदी के उस तरफ़ कई क़ब्रें हैं
जिनमें दबी हैं कुछ कहानियाँ
ज़ंग लगा एक चिमटा
तांबे का प्याला
एक तहमद एक लाठी एक दरी
मेंहदी से रंगे बाल
2 X 3 इंच का नीले शीशे का
चमकदार टुकड़ा
और इसी तरह कुछ अटरम-सटरम
हर शै ख़ामोश
लेकिन अपनी जगह से कुछ सरकी हुई
हर शै, दम साधे,
हमारी तरह,
किसी इंतज़ार में।