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"मगहिया शेर / उमेश बहादुरपुरी" के अवतरणों में अंतर

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नजर मिलइहऽ न´् हमरा से कर देम सबके ढेर।
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नजर मिलइहऽ नञ् हमरा से कर देम सबके ढेर
हम मगहिया शेर ही हम मगहिया शेर।।
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हम मगहिया शेर ही हम मगहिया शेर
पौरुष हमर देख के उतर जाहे सबके पानी।
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पौरुष हमर देख के उतर जाहे सबके पानी
कूदऽ ही जब दंगल में आबे आद बड़-बड़ के नानी।
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कूदऽ ही जब दंगल में आबे आद बड़-बड़ के नानी
ई मगध में एक से बढ़ के एक हलन समशेर।।
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ई मगध में एक से बढ़ के एक हलन समशेर
सीना-तान के चललन हल जग जीते ले सिकंदर।
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सीना-तान के चललन हल जग जीते ले सिकंदर
उनखा की मालुम विजय-रथ रूकत मगध के अंदर।
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उनखा की मालुम विजय-रथ रूकत मगध के अंदर
इहे मगध में चंद्रगुप्त के जैसन हलन दिलेर।।
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इहे मगध में चंद्रगुप्त के जैसन हलन दिलेर
नालंदा के खंडहर देखऽ ज्ञान-पीठ संसार के।
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नालंदा के खंडहर देखऽ ज्ञान-पीठ संसार के
राजगीर में लगऽ हल एक-दिन जयकारा बिंबिसार के।
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राजगीर में लगऽ हल एक-दिन जयकारा बिंबिसार के
ज्ञान-पुंज बन जइतै नालंदा जगत में फिनु एक बेर।।
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ज्ञान-पुंज बन जइतै नालंदा जगत में फिनु एक बेर
समझऽ हे जे खुद के बिक्रम देखे रस्ता रोक के।
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समझऽ हे जे खुद के बिक्रम देखे रस्ता रोक के
बुद्ध-महावीर के ई धरती, धरती महान अशोक के।
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बुद्ध-महावीर के ई धरती, धरती महान अशोक के
दुनहुँ हाँथ से स्वर्ण लुटइलन बनके करन कुबेर।।
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दुनहुँ हाँथ से स्वर्ण लुटइलन बनके करन कुबेर
  
  
 
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11:25, 14 मार्च 2019 के समय का अवतरण

नजर मिलइहऽ नञ् हमरा से कर देम सबके ढेर
हम मगहिया शेर ही हम मगहिया शेर
पौरुष हमर देख के उतर जाहे सबके पानी
कूदऽ ही जब दंगल में आबे आद बड़-बड़ के नानी
ई मगध में एक से बढ़ के एक हलन समशेर
सीना-तान के चललन हल जग जीते ले सिकंदर
उनखा की मालुम विजय-रथ रूकत मगध के अंदर
इहे मगध में चंद्रगुप्त के जैसन हलन दिलेर
नालंदा के खंडहर देखऽ ज्ञान-पीठ संसार के
राजगीर में लगऽ हल एक-दिन जयकारा बिंबिसार के
ज्ञान-पुंज बन जइतै नालंदा जगत में फिनु एक बेर
समझऽ हे जे खुद के बिक्रम देखे रस्ता रोक के
बुद्ध-महावीर के ई धरती, धरती महान अशोक के
दुनहुँ हाँथ से स्वर्ण लुटइलन बनके करन कुबेर