"उ इश्वर फूटाइरहन्छे / सीमा आभास" के अवतरणों में अंतर
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+ | नदीकिनारमा ताराहरु जम्मा पारेर | ||
+ | गट्टा खेलाउँछे नानीलाई | ||
+ | पानी खुवाउँछे जूनको कचौराबाट | ||
+ | सूर्यमण्डल बनाउँछे उसले खेल्ने भकुन्डोलाई । | ||
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+ | नानीकै मुहारबाट उदाउँछ घाम | ||
+ | ऊ रुँदा होस् या खुसी हुँदा | ||
+ | बन्छन् देवताका हजार रूप । | ||
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पहिलो पटक | पहिलो पटक | ||
− | कुन कालिगढले | + | कुन कालिगढले कुँद्यो होला भगवान् ? |
− | + | कुन भक्तले, कुन मितिमा, चढायो होला फूल ? | |
− | कुन भक्तले | + | कसले राख्यो होला चुपचाप बस्नू भनेर मन्दिरमा ? |
− | कुन मितिमा | + | |
− | + | बालक चन्द्रमालाई छातीमा टाँसेर सोध्छे, | |
− | + | यो पत्थरमा लुक्ने भगवान् | |
− | + | कहिलेसम्म बाँचिरहन्छ, मान्छेको शरणमा ? | |
− | यो | + | |
− | कहिलेसम्म | + | सलसली हुर्किरहेको यस जूनलाई |
− | मान्छेको | + | बादलको मजेत्रो ओढाएर |
− | + | इन्द्रेणीले पिठ्यूँमा बाँधेर | |
− | + | घामको डल्लो फुटाउन हम्मर उचाल्छे | |
− | + | हम्मरले फुटाएका पसिनाका बुँदहरु जमाएर | |
− | + | गिट्टी बनाउँछे । | |
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− | + | गिट्टीकै आकारजत्रा ठेला हत्केलामा उठाएर | |
− | + | मन्दिर बनाइने ढुङ्गा | |
− | + | रोसी थाकेर बगरमै छोडिएका ढुङ्गा | |
− | + | भगवान् पुजिने अनेकौँ ढुङ्गा | |
− | + | गिट्टी बनाएपछि | |
− | + | यो निर्जन दुनियाँ भन्ने गर्छ | |
− | + | ऊ ईश्वर फुटाइरहन्छे । | |
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11:35, 28 अप्रैल 2020 के समय का अवतरण
जून–घामलाई नानीको बाउ भनेपछि
अपराधीलाई झैँ घरबाट निकालिएकी
गाउँबाट विस्थापित ऊ
नदीकिनारमा ताराहरु जम्मा पारेर
गट्टा खेलाउँछे नानीलाई
पानी खुवाउँछे जूनको कचौराबाट
सूर्यमण्डल बनाउँछे उसले खेल्ने भकुन्डोलाई ।
नानीकै मुहारबाट उदाउँछ घाम
ऊ रुँदा होस् या खुसी हुँदा
बन्छन् देवताका हजार रूप ।
पहिलो पटक
कुन कालिगढले कुँद्यो होला भगवान् ?
कुन भक्तले, कुन मितिमा, चढायो होला फूल ?
कसले राख्यो होला चुपचाप बस्नू भनेर मन्दिरमा ?
बालक चन्द्रमालाई छातीमा टाँसेर सोध्छे,
यो पत्थरमा लुक्ने भगवान्
कहिलेसम्म बाँचिरहन्छ, मान्छेको शरणमा ?
सलसली हुर्किरहेको यस जूनलाई
बादलको मजेत्रो ओढाएर
इन्द्रेणीले पिठ्यूँमा बाँधेर
घामको डल्लो फुटाउन हम्मर उचाल्छे
हम्मरले फुटाएका पसिनाका बुँदहरु जमाएर
गिट्टी बनाउँछे ।
गिट्टीकै आकारजत्रा ठेला हत्केलामा उठाएर
मन्दिर बनाइने ढुङ्गा
रोसी थाकेर बगरमै छोडिएका ढुङ्गा
भगवान् पुजिने अनेकौँ ढुङ्गा
गिट्टी बनाएपछि
यो निर्जन दुनियाँ भन्ने गर्छ
ऊ ईश्वर फुटाइरहन्छे ।