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महर्षि दयानंद / महावीर प्रसाद ‘मधुप’
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03:12, 23 जून 2020
नित रहे देश-नैया के कुशल खिवैया ऋषिवर दयानंद।।
तुमने जो फूँका
मुत्र
मंत्र
, राष्ट्र के
आँगल
आँगन
में साकार हुआ,
तुमने जिस मिट्टी के ढेले को छुआ वही अंगार हुआ,
तुमने जो बोये बीज देश रत है उनके ही बोने में,
Arti Singh
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