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डूब नहाऊँ / कविता भट्ट
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05:52, 11 मार्च 2021
'''देखो, खोजो स्वयं को'''
'''मेरे भीतर।'''
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मेरे भीतर।
21
मुझे स्वीकार
आपका उपकार
जीवन- सार !
</poem>
वीरबाला
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