Changes

मैंने चाहा ही नहीं था मोतियों का घर मिले
सब तरह के सुख लिए त्रोतात्रेता, कभी द्वापर मिले
मैंने कुछ अंगार माँगा था वो मेरे पास है
तुम कहो तो आज वह अंगार दूँ मैं ।
346
edits