गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
कुछ तो अपने लिये बचाया कर / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
3 bytes removed
,
26 फ़रवरी
<poem>
कुछ तो अपने लिये बचाया कर।
ख़ुद को इतना भी मत
नुमाया
पराया
कर।
जिस्म उरियाँ हो रूह ढँक जाए,
Dkspoet
Delete, KKSahayogi, Mover, Protect, Reupload, Uploader
19,164
edits