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"किताब / गायत्रीबाला पंडा / शंकरलाल पुरोहित" के अवतरणों में अंतर

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एक किताब की तरह
 
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स्वयं को खोले और बंद करे
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पुरुष की मर्जी पर।
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पुरुष की मरज़ी पर ।
  
 
एक किताब की तरह
 
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आँखें तैराता पुरुष
 
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जहाँ मन वहाँ रुकता
 
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तन्न तन्न कर पढ़ता।
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विभोर और क्लांत हो, तो हटा देता
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विभोर और क्लान्त हो, तो हटा देता
एक कोने में। खर्राटे भरता
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'''मूल ओड़िया भाषा से अनुवाद : शंकरलाल पुरोहित'''
 
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21:04, 19 फ़रवरी 2025 के समय का अवतरण

एक किताब की तरह
स्वयं को खोले और बन्द करे
पुरुष की मरज़ी पर ।

एक किताब की तरह
उसके हर पन्ने पर
आँखें तैराता पुरुष
जहाँ मन वहाँ रुकता
तन्न तन्न कर पढ़ता ।

विभोर और क्लान्त हो, तो हटा देता
एक कोने में । खर्राटे भरता

तृप्ति में ।

मूल ओड़िया भाषा से अनुवाद : शंकरलाल पुरोहित