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सिर्फ़ एक रात की मेहमाँ है कोई क्या जाने
गुलशन-ए-ज़िस्त ज़ीस्त के हर फूल की रन्गीनी रंगीनी में दजला-ए- ख़ून-ए-रग-ए-जाँ है कोई क्या जाने
रंग-ओ-आहंग से बजती हुई यादों की बरात
रहरव-ए-जादा-ए-निसियाँ है कोई क्या जाने
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