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131-140 मुक्तक / प्राण शर्मा

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औ’ दर्द – दया उपजाती है
मदिरा हर प्राणी को अक्सर
संवेदनशील बनाती है।  १४०ये भोली-भाली है हालाकैसी मतवाली है हालाचखने में कड़वी है लेकिनपर चीज़ निराली है हाला</poem>
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