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"वायु / माखनलाल चतुर्वेदी" के अवतरणों में अंतर

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विश्व-सांसें गीत गाने-सी लगीं।
 
विश्व-सांसें गीत गाने-सी लगीं।
 
जग उठा तरु-वृंद-जग, सुन घोषणा,
 
जग उठा तरु-वृंद-जग, सुन घोषणा,
 
  
 
पंछियों में चहचहाट मच गई,
 
पंछियों में चहचहाट मच गई,

10:54, 6 अक्टूबर 2009 के समय का अवतरण

चल पडी चुपचाप सन-सन-सन हवा,
डालियों को यों चिढाने-सी लगी,
आंख की कलियां, अरी, खोलो जरा,
हिल स्वपतियों को जगाने-सी लगी,

पत्तियों की चुटकियां झट दीं बजा,
डालियां कुछ ढुलमुलाने-सी लगीं।
किस परम आनंद-निधि के चरण पर,
विश्व-सांसें गीत गाने-सी लगीं।
जग उठा तरु-वृंद-जग, सुन घोषणा,

पंछियों में चहचहाट मच गई,
वायु का झोंका जहां आया वहां-
विश्व में क्यों सनसनाहट मच गई?