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झुण्ड / नीलेश रघुवंशी
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{{KKRachna
|रचनाकार=नीलेश रघुवंशी
|संग्रह=
घर-निकासी / नीलेश रघुवंशी
}}
{{KKCatKavita}}
<poem> पक्षियों को झुण्ड में जाते देखती हूँ जब भी
पहुँच जाती हूँ बचपन के दिनों में
देखती हूँ
अनिल जनविजय
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