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माँ / अनिल कुमार सिंह

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|संग्रह=पहला उपदेश / अनिल कुमार सिंह
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माँ
एक भरी हुई थाली का नाम है
मैं सोचता था
जब मैं बहुत छोटा था
माँ<br>एक भरी हुई थाली का नाम है<br>मैं सोचता था<br>जब मैं बहुत छोटा था<br><br> आज मैं बड़ा हो गया हूँ<br>और सोचता हूँ<br>
कि मैं ग़लत सोचता था।
</poem>
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