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{{KKRachna
|रचनाकार=अली सरदार जाफ़री
|संग्रह=मेरा सफ़र / अली सरदार जाफ़री
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<poem>
 नसीम तेरी क़बा<ref>चोली</ref>, बूए-गुल <ref>फूल की महक</ref> है पैराहन<ref>वस्त्र</ref>हया <ref>शर्म</ref> का रंग रिदाए-बहार१ उढा़ता बहार<ref>बहार की चादर</ref> उढ़ाता है
तेरे बदन का चमन ऐसे जगमगाता है
कि जैसे सैले-सहत, जैसे नूर का दामन
सितारे डूबत डूबते हैं चाँद झिलमिलाता है----------------------------------------१.बहार की चादर
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